श्री रामचरितमानस विचार

*।। श्रीरामचरितमानस - विचार ।।* होइ न बिषय बिराग भवन बसत भा चौथपन। हृदयँ बहुत दुख लाग जनम गयउ हरिभगति बिनु।। ( बालकांड, दो. 142 ) नारद मोह की कथा सुनाने के बाद भगवान शिव जी भगवान के अवतार की दूसरी कथा सुनाते हुए पार्वती से कहते हैं कि मनु व सतरूपा जिनसे मनुष्यों की सृष्टि हुई, वे दोनों धर्मत: जीवन जीते थे। घर में रहते हुए उनकी चौथी अवस्था आ गई परंतु विषयों से वैराग्य न हुआ। मनु व सतरुपा को इस बात का बहुत दुख हुआ कि भगवान की भक्ति के बिना उनका जन्म यों ही बीत गया । बंधुओं, भगवान की भक्ति के बिना जीवन किस काम का ? ऐसा न हो कि मनु व सतरूपा की तरह हमें भी पछताना पड़े, भक्ति के बिना विषयों से अप्रियता कभी भी कम न होगी । अतः भक्ति करें, राम जी की भक्ति करें । अथ ! जय राम जय राम जय जय राम। *astrosanjaysinghal*