*।। श्रीरामचरितमानस - विचार ।।*
अवधपुरी बासिन्ह कर सुख संपदा समाज ।
सहस सेष नहिं कहि सकहिं
जहँ नृप राम बिराज ।।
( उत्तरकांड, दो. 26 )
राम जी का राज्याभिषेक हो चुका है, सबके सब राम गुणगान में लगें हुए हैं, सबका समय सुख पूर्वक बीत रहा है। तुलसीबाबा कहते हैं कि जहाँ भगवान राम स्वयं राजा होकर विराजमान हैं, उस अवधपुरी के निवासियों के सुख-संपत्ति की विपुलता का वर्णन हज़ारों शेष जी भी नहीं कर सकते हैं।
मित्रों ! राम जी हमारे राजा हैं और हम उनकी प्रजा है, ऐसा मानकर आज भी जो अपना जीवन-यापन राम जी के अनुकूल करेगा, वह अपरिमित घन धान्य से युक्त हो जाएगा । अस्तु ! जय राम राम, जय राम राम।
*astrosanjaysinghal*