श्री रामचरितमानस विचार

*।। श्रीरामचरितमानस - विचार ।।* जगत बिदित तुम्हार प्रभुताई । सुत परिजन बल बरनि न जाई।। राम बिमुख अस हाल तुम्हारा । रहा न कोउ कुल रोवनिहारा ।। ( लंकाकांड 103/3 ) राम जी ने रावण का बध कर दिया है , रावण का सिर मंदोदरी के समक्ष पड़ा हुआ है, मंदोदरी उसे देखकर बिलाप करते हुए कहती है कि सारा संसार आपकी प्रभुता जानता है , आपके पुत्रों, परिवारी जनों का बल वर्णन से परे है, लेकिन राम जी से विमुख रहने के कारण आपका ऐसा हाल हुआ कि आज आपके कुल में आपके लिए कोई रोने वाला भी नहीं रह गया है । मित्रों! राम विमुख रहने से क्या होता है , रावण जैसे बलशाली की जो गति हुई उससे हम सब भलीभाँति परिचित हैं । उसका सबकुछ नष्ट , समाप्त हो गया । अपनी ऐसी गति न हो, इसके लिए राम जी से विमुख न होकर राम सम्मुख रहें , पूरा जगत आपके साथ रहेगा । अस्तु! राम जय राम , जय जय राम। *astrosanjaysinghal*