।। श्रीरामचरितमानस - विचार ।।*
मति कीरति गति भूति भलाई ।
जब जेहिं जतन जहाँ जेहिं पाई
सो जानब सत्संग प्रभाऊ।
लोकहुँ बेद न आन उपाऊ ।।
( बालकांड 2/3 )
मानस जी के आरंभ में सबकी वंदना करने के बाद तुलसी बाबा सत्संग की महिमा बताते हुए कहते हैं कि इस जगत में जिसने भी बुद्धि, कीर्ति, सद्गति, ऐश्वर्य और भलाई पाई है, उसे सत्संग का प्रभाव मानना चाहिए। वेदों और जगत में इनकी प्राप्ति का दूसरा कोई उपाय नहीं है।
मित्रों ! जिसके जीवन में सत्संग है तो उसके पास सब कुछ है, सत्संग आपको सब कुछ सुलभ कराता है । सत्संग का मतलब ही राम संग हैं , राम प्रेमियों का संग है । अतः अपनी सद्गति चाहते हैं तो सत्संग करें । अथ ! जय राम संग , जय जय राम संग।
*astrosanjaysinghal*