*श्रीरामचरितमानस - विचार*
जासु बिरहँ सोचहु दिन राती ।
रटहु निरंतर गुन गन पाँती ।।
रघुकुल तिलक सुजन सुखदाता
आयउ कुसल देव मुनि त्राता ।।
( उत्तरकांड 1/2 )
राम जी रावण का बध कर सीता जी व लक्ष्मण सहित अयोध्या वापस आ रहें हैं । उन्होंने हनुमान जी से कहा कि देर न हो जाए इसलिए आप मेरे आने की सूचना जाकर भरत को दीजिए । हनुमान जी ब्राह्मण रूप में अयोध्या आते हैं और भरत जी को राम राम रटते हुए पाते हैं । वे भरत जी से कहते हैं कि जिनके विरह में आप दिन रात सोचा करते हैं और जिनके गुणों को आप दिन रात रटते रहते हैं , वे रघुकुल शिरोमणि , सज्जनों को सुख देने वाले , देवताओं व मुनियों के रक्षक राम जी सकुशल वापस आ गये हैं ।
मित्रों! राम जी उन्हीं को अपने आने की सूचना देते हैं जो भरत जी की तरह दिन रात उनके नाम का स्मरण करते रहते हैं । क्या आप राम नाम स्मरण करते हैं ?
आप भी राम राम रटें , आप महसूस करेंगे कि राम जी आपमें भी आ गये हैं , आपके पास आ गये हैं । अतएव और कुछ नहीं बस ! राम रट , राम रट , राम रट बावरे , राम रट बावरे।
*astrosanjaysinghal*