*।। श्रीरामचरितमानस - विचार ।।*
सुनु दसकंठ कहउँ पन रोपी ।
बिमुख राम त्राता नहिं कोपी ।।
संकर सहस बिष्नु अज तोही ।
सकहिं न राखि राम कर द्रोही ।।
( सुंदरकांड 22/4 )
हनुमान जी को नागपाश से बांधकर रावण के दरबार में मेघनाथ ले आया है । रावण ने कुछ प्रश्न पूछे हैं, हनुमान जी उनके उत्तर में कहते हैं कि हे रावण ! सुनो , मैं शपथ खाकर कहता हूँ कि राम विमुख की रक्षा करने वाला कोई नहीं है । हज़ारों शंकर , विष्णु और ब्रह्मा भी राम द्रोही को नहीं बचा सकते हैं ।
मित्रों ! राम विमुख की कोई सहायता नहीं कर सकता है जबकि राम सनमुख की रक्षा राम जी स्वयं करते हैं । राम सुरक्षा हमें सबसे सुरक्षा प्रदान करती है । अतः राम सनमुख होकर राम रक्षा में निश्चिंत जीवन जीएँ । अस्तु ! राम राम जय राम राम।
*astrosanjaysinghal*