*श्री रामचरितमानस विचार*

*।। श्रीरामचरितमानस - विचार ।।* सब के उर अंतर बसहु जानहु भाउ कुभाउ। पुरजन जननी भरत हित होइ सो कहिअ उपाउ।। ( अयोध्याकाण्ड, दो. 257 ) भरत जी अयोध्या के समाज सहित चित्रकूट आ गये हैं । बैठक होती है, वशिष्ठ जी कहते हैं कि एक उपाय है यदि भरत व शत्रुघ्न आप वन को जाओ तो राम लक्ष्मण सीता वापस अयोध्या लौट सकते हैं। भरत जी कहते हैं कि इसमें सबकी भलाई होगी। भरत जी की यह बात वशिष्ठ जी को बहुत भाती है। सब राम के पास आते हैं। वशिष्ठ जी राम जी से कहते हैं कि राम। आप सबके हृदय में बसते हैं, सबके भले -बुरे भाव को जानते हैं, जिसमें अयोध्यावासियों, माताओं तथा भरत का भला हो, वही उपाय आप बताइए। मित्रों ! हम आप यह तो मानते हैं भगवान हमारे भीतर बसते हैं परंतु इस पर ध्यान नहीं देते हैं कि वे हमारे बुरे भावों को भी जानते हैं। इसी कारण हमारा हित नहीं होता है। अस्तु! हम अपना कुभाउ ठीक कर लें तो राम जी हमारा सदा हित करेंगे । अथ ! जय जय राम, जय जय राम। *astrosanjaysinghal*