*।। श्रीमद्भगवद्गीता ।।*
भगवद्गीता सम को देने वाला ग्रंथ है। *समत्वं योग उच्यते।* प्रत्येक परिस्थिति में सम अथवा तो एक रुप बने रहने की प्रेरणा अथवा तो अपने कर्तव्य पथ पर निष्काम भाव से अडिग बने रहने की प्रेरणा देने वाला ग्रंथ गीता है। सबके प्रति समत्व का भाव रखते हुए सत्य की प्राप्ति का निरंतर प्रयास ही गीता की प्रमुख सीख है।
कुल मिलाकर कहने का तात्पर्य हैं कि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में समत्व रखते हुए, निष्काम भाव से अपने कर्तव्य का पालन करो, सबमें एक परमात्मा का दर्शन करो और अन्तिम शरण केवल उसी परमेश्वर को बनाओ। यही सम्पूर्ण जीवन का योग है, यही गीता का सिख हैं।
*astrosanjaysinghal*