*।। कर्म ही जीवन का आधार है ।।*
इस संसार में कोई भी प्राणी ऐसा नहीं है जो कर्म न करता हो। कर्म ही जीवन का आधार है। व्यक्ति अपने शरीर, मन और वाणी के उपयोग से जो भी करता है, वह कर्म की श्रेणी में आता है। कर्म करने के पीछे कोई न कोई प्रयोजन अवश्य होता है। कर्म से ही संसार चलता है और कर्म से ही आत्मा का विकास होता है। बिना कर्म के न शरीर का पोषण संभव है, न मन की शुद्धि और न ही मोक्ष की प्राप्ति। निष्काम कर्म या फल की इच्छा न रखते हुए कर्म करना योगियों और संन्यासियों की सिद्धि है। सामान्य जन प्रयोजन को भलीभांति परख कर ही कर्म करने को उत्सुक होते हैं। जो कर्म बिना स्वार्थ के, केवल कर्तव्यभाव से किया जाता है, वही सच्चा कर्मयोग है। अकर्मण्य रहने की अपेक्षा कर्म करना श्रेष्ठ है, भले ही उसके पीछे कोई मनोरथ सिद्ध करना लक्ष्य हो। इसलिए हे मनुष्य! उठो, जागो और निरंतर कर्म करते रहो, क्योंकि कर्म ही तुम्हारा धर्म है और कर्म से ही तुम्हारा कल्याण है।
*आज का दिन शुभ मंगलमय हो।*
*astrosanjaysinghal*