श्रीमद्भगवद्गीता

*॥ जीवन में गीता का आश्रय ॥* _गीतार्थं ध्यायते नित्यं कृत्वा कर्माणि भूरिशः।_ _जीवन्मुक्तः स विज्ञेयो देहांते परमं पदम्।।_ गीता मानव जीवन की सबसे बड़ी पथ प्रदर्शिका है। गीता भगवान श्रीकृष्ण के श्रीमुख से निसृत वो अमृतमयी औषधि है, जिसके सेवन से जीवन के आंतरिक विकारों का निराकरण होकर जीवन कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। गीता भटकाने वाला ग्रंथ नहीं अपितु भटके हुए मानव को उसके कर्तव्य पथ का बोध कराने वाला ग्रंथ है। संत ज्ञानदेव जी से लेकर महर्षि अरविंद, महर्षि रमण, स्वामी विवेकानंद जी, पंडित मदन मोहन मालवीय जी जैसे अनेकानेक जिस किसी भी महापुरुष ने माँ गीता जी की गोद का आश्रय लिया है उसका जीवन समाज के लिए एक प्रेरणा एवं आदर्श अवश्य बना है। *जीवन का कोई ऐसा प्रश्न नहीं जिसका उत्तर श्रीमद्भगवद्गीता जी में ना हो। विषाद से प्रसाद की यात्रा, भोग से योग की यात्रा एवं प्रमाद से अह्लाद की यात्रा कराने वाला ग्रंथ ही गीता है।* अपनी उपयोगिता एवं प्रासंगिकता के कारण ही आज गीता ने संपूर्ण विश्व में अपना विशिष्ट स्थान बनाया है। एक श्रेष्ठ एवं आदर्शमय जीवन के लिए गीता जी का आश्रय अवश्य होना चाहिए। *आज का दिन शुभ मंगलमय हो।* *astrosanjaysinghal*