कर्म से भाग्य निर्माण

।। कर्म से भाग्य निर्माण ।।* कर्म ही हमारे भाग्य के निर्माता होते हैं। सदैव अच्छा करो और निश्चिंत हो जाओ क्योंकि समय लग सकता है, लेकिन आपने फूलों का बीज बोया है तो आपके आंगन में फूल ही खिलने वाले हैं। वर्तमान के अच्छे-बुरे कर्म ही भविष्य में हमारे भाग्य का निर्धारण करने वाले हैं। परमात्मा से कभी शिकायत मत किया करो क्योंकि आप अभी इतने समझदार नहीं हुए कि उसके इरादे समझ सकें। यदि उस ईश्वर ने आपकी झोली खाली की है तो चिंता मत करना क्योंकि शायद वह पहले से कुछ बेहतर उसमें डालना चाहता है। आपके पास समय हो तो उसे दूसरों के भाग्य को सराहने में न लगाकर स्वयं के भाग्य को सुधारने में लगाओ। परमात्मा भाग्य का चित्र अवश्य बनाता है, लेकिन उसमें कर्म रुपी रंग तो हमारे द्वारा स्वयं ही भरा जाता है। श्रेष्ठ कर्म ही श्रेष्ठ भाग्य का निर्माण करते हैं। *आज का दिन शुभ मंगलमय हो।* *astrosanjaysinghal*