अंक ज्योतिष: अंकों का रहस्यमय संसार
अंक ज्योतिष, जिसे अंग्रेजी में न्यूमेरोलॉजी (Numerology) कहते हैं, एक प्राचीन विद्या है जो अंकों और मनुष्य के जीवन के बीच के गहरे संबंध को दर्शाती है। यह मानना है कि प्रत्येक अंक एक विशिष्ट कंपन और ऊर्जा रखता है, जो व्यक्ति के व्यक्तित्व, भविष्य और भाग्य को प्रभावित करता है। यह सिर्फ भविष्यवाणी का माध्यम नहीं है, बल्कि स्वयं को बेहतर ढंग से समझने और जीवन के रहस्यों को जानने का एक तरीका है।
अंकों और ग्रहों का संबंध
अंक ज्योतिष का आधार नवग्रहों से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि प्रत्येक अंक 1 से 9 तक एक विशिष्ट ग्रह द्वारा शासित होता है। उदाहरण के लिए:
अंक 1: सूर्य (सत्ता, नेतृत्व)
अंक 2: चंद्रमा (भावनाएँ, कल्पना)
अंक 3: बृहस्पति (ज्ञान, विस्तार)
अंक 4: राहु (अचानक परिवर्तन, अनुशासन)
अंक 5: बुध (संचार, बुद्धि)
अंक 6: शुक्र (प्रेम, कला, विलासिता)
अंक 7: केतु (रहस्य, आध्यात्मिकता)
अंक 8: शनि (न्याय, कर्म, धीरज)
अंक 9: मंगल (ऊर्जा, साहस)
जन्म की तारीख के आधार पर, अंक ज्योतिषी दो प्रमुख अंक निकालते हैं—मूलांक (Destiny Number) और भाग्यांक (Life Path Number)—जो किसी व्यक्ति की जीवन यात्रा का खाका खींचते हैं।
मूलांक (जन्म का अंक)
मूलांक किसी भी महीने की उस तारीख को दर्शाता है जिस दिन व्यक्ति का जन्म हुआ होता है। यदि जन्म की तारीख दो अंकों की है (जैसे 28), तो उसे एक अंक में तब तक जोड़ा जाता है जब तक एक ही अंक प्राप्त न हो जाए (2 + 8 = 10; 1 + 0 = 1)। मूलांक व्यक्ति के बुनियादी स्वभाव, आदतों और तात्कालिक प्रेरणाओं को बताता है। यह वह चेहरा है जो दुनिया को सबसे पहले दिखता है।
भाग्यांक (जीवन पथ अंक)
भाग्यांक पूरे जन्म की तारीख (दिन, महीना और वर्ष) को जोड़कर एक अंक में लाया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी का जन्म 15-08-1990 को हुआ है, तो सभी अंकों को जोड़कर भाग्यांक निकाला जाएगा (1+5 + 0+8 + 1+9+9+0 = 33; 3+3 = 6)। भाग्यांक जीवन के उद्देश्य, सबसे बड़ी चुनौतियों, और व्यक्ति के अंतिम भाग्य को दर्शाता है। यह वह राह है जिस पर व्यक्ति को जीवन में चलना है।